दूनियाॅं क्या कहेगी जान ले Hindi Kahani Sahitya
➡ यह घटना पूराने समय की है, एक बहूत ही हट्ठी महात्मा जो किसी गाॅंव में आए हुए थे, उनका ठिकाना और खाना पीना भी कठिन था, जहाॅं कही जगह मिली विश्राम किया, और जहाॅं पर आदर के साथ खाना मिला वहाॅं भोजन बाकी समय प्रवचन, भजन, ध्यान आदि में जाता था, साधू का जीवन बड़ा ही कठिन होता है, एक दिन जब विश्राम के लिए महात्मा जी गाॅंव के पनगट के पास के वक्ष की छाव में एक पत्थर को सर के निचे तकिये की तरह लगाए हुए विश्राम कर रहे थे, तभी गाॅंव की दो-तीन महिआएॅं वहाॅं पानी के लिए आई!
एक औरत ने कहाॅं देखों महात्मा हैं लेकिन फिर भी इनका तकिये से मोह नहीं गया। कुछ नहीं मिला तो पत्थर का भी तकिया बना कर सूख चाहिए इनको।
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महात्मा ने महिआएॅं की बात सून ली और गुस्सा होकर पत्थर सर से निकाल फेंका, ये देख दूसरी औरत ने कहा देखों तो महात्मा है लेकिन कोध्र, रोश और घमण्ड कितना इनके अन्दर है। इस पर पहली महिला ने फिर से महात्मा को कहा ही महात्मा जी आप यहाॅं रहेगों तो यहाॅं पर औरतें पानी के लिए आती रहेगी और कुछ ना कुछ तो कहेगी और आप उनके कहने पर बार-बार बदलाव करोंगे तो साधाना, भक्ति और ध्यान कब करोंगे।
इसी पर तीसरी महिला ने बड़ी ही सारगृभित बात कही, और कहा महात्मा जी आप ने महात्मा बनने के लिए सब कुछ छोड़ा लेकिन अपना चित्त नहीं छोड़ा दूनियाॅं तो कुछ ना कुछ कहेगी ही पर आप ये सब अपने मन में ना लेकर हरि भजन करों और राम नाम लेते रहोगे तो ही भलाई है।
और कटू सत्य यही है कि लोगों का काम ही कहना है।
अगर आप उपर आसामान की तरफ देखकर चलोगें तो बोलेंगे महात्मा जी घमण्डी हो गए।
नीचे धरती को देख कर चलोंगे तो बोलेंगे महात्मा जी अभिमानी हो गए, किसी के सामने नहीं देखते।
और अगर आप आॅंख बंद कर दोगे तो कहेंग के ध्यान का नाटक कर रहा है और कुछ नहीं।
इन सब को सुन कर और मन में लेकर अगर आॅंख फोड दोगे तो कहेंगे कि किया हुआ तो हर किसी को भोगना ही पड़ता ही भले महात्मा ही क्यू हो।
प्रभू को सच्ची भक्ति से राज़ी करना बहुत आसान हैं, लेकिन संसार को नहीं और अगर आप यही सोचोगे की दूनियाॅं क्या कहेंगी तो आप कुछ नहीं कर पाओंगे।
इस महिला की बात में बहुत ही गहरा और सही तात्पर्य छूपा था, और ये जिसने जान लिया उसको कोई भी काम करने में समस्या नहीं आएंगी, इससे वो काम पूरी लगन के साथ अच्छा होगा।
Bahut hii achi kahanai or morl..
दुनिया क्या कहेगी। हमे इस बात की परवाह नहीं करनी चाहिए। पर यदि हम गलत काम कर रहे हैं, तब एक बार दुनिया क्या कहेगी, यह जरूर सोच लेना चाहिए। बहुत ही बेहतरीन किस्म का लेख।
Hum apne kam SE kitne santush hai ye jaruri hai.duniya apne swabhav SE kuch n kuch kahti hi rahegi